Mahakaleshwar Jyotirlinga
उज्जैन: महाकाल की नगरी में भक्ति और इतिहास का संगम
उज्जैन का नाम आते ही मन में सबसे पहले आता है महाकालेश्वर मंदिर। ये पवित्र धाम सिर्फ मंदिर ही नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का संगम स्थल है। तो चलिए आज हम इस ब्लॉग में उज्जैन नगरी और महाकालेश्वर मंदिर की खूबसूरती का सफ़र करते हैं।
उज्जैन: सप्त पुरियों में से एक
हिन्दू धर्म में उज्जैन का विशेष महत्व है। ये सप्त पुरियों में से एक है, जिन्हें हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र तीर्थस्थान माना जाता है। उज्जैन की प्राचीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे “हिंदूओं का ग्रीनविच” भी कहा जाता है। माना जाता है कि प्राचीन काल में समय की गणना यहीं से की जाती थी।
महाकालेश्वर मंदिर: जहां भस्म आरती का होता है विशेष दर्शन
उज्जैन की शान है महाकालेश्वर मंदिर। ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां भगवान शिव की पूजा की जाती है। यहां की सबसे अनोखी परंपरा है भस्म आरती। हर सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है, जिसमें शिवलिंग को श्मशान से लाई गई भस्म से सजाया जाता है। ये जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है।
इतिहास और पुराणों से जुड़ाव
महाकालेश्वर मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि राजा चंद्रसेन के राज्य में शिवलिंग प्रकट हुआ था। मंदिर का वर्तमान स्वरूप कई शासकों के योगदान से बना है। यहां भांग से जुड़ी हुई भी एक अनोखी परंपरा है। भगवान शिव को भांग अर्पित की जाती है।
उज्ज सिंहस्थ: आस्था का महाकुंभ
हर 12 साल में उज्जैन में सिंहस्थ का मेला लगता है। ये कुंभ मेले के समान ही एक विशाल धार्मिक आयोजन होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आकर स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
उज्जैन सिर्फ मंदिर और धर्म ही नहीं है। यहां घूमने के लिए बहुत कुछ है। आप यहां त्रिवेणी संग्रहालय जाकर इतिहास के झरोखे से झांक सकते हैं। प्राचीन राम घाट पर पवित्र स्नान कर सकते हैं या फिर शहर की रंगीन गलियों में घूम कर यहां के जीवन का अनुभव ले सकते हैं।
तो देर किस बात की? आइये उज्जैन आइये और महाकालेश्वर के दर्शन कर इतिहास और आस्था की अनुभूति प्राप्त कीजिये!
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